MSP Kya Hai: न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एमएसपी क्या है?

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MSP Kya Hai: न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एमएसपी क्या है: भारतीय कृषि क्षेत्र की रीढ़ माने जाने वाले किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एक परिचित शब्द है। यह सरकार द्वारा तय किया गया एक न्यूनतम मूल्य है, जो किसानों को उनकी फसलों के लिए मिलना चाहिए। इसका उद्देश्य अनाज उत्पादक किसानों को उनकी उपज का उचित दाम दिलाना और कृषि क्षेत्र में स्थिरता लाना है। लेकिन क्या जमीनी हकीकत में एमएसपी उतना ही प्रभावी है, जितना कागजों पर दिखता है? आइए, इस लेख में एमएसपी की बारीकियों, किसान आंदोलनों और इससे जुड़े कानूनी पहलुओं को गहराई से समझते हैं.

एमएसपी क्या है? (MSP Kya Hai)

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भारत सरकार द्वारा कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर अधिसूचित किया जाता है। यह सरकार का एक आर्थिक हस्तक्षेप है, जो किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य दिलाने और कृषि आय स्थिरता सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।

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एमएसपी किन फसलों के लिए लागू होता है?

सरकार हर साल खरीफ और रबी सीजन के लिए लगभग 23 से 25 प्रमुख कृषि उपजों के लिए एमएसपी निर्धारित करती है। इनमें प्रमुख रूप से गेहूं, धान, दलहन, कपास, गन्ना, मक्का, ज्वार, बाजरा और कुछ तिलहनी फसलें शामिल हैं.

एमएसपी निर्धारण प्रक्रिया

किसानों की फसल लागत और उन्हें उचित मुनाफा दिलाने के उद्देश्य से एमएसपी तय किया जाता है। सीएसीपी उत्पादन लागत (भूमि का किराया, बीज, खाद, सिंचाई, मजदूरी आदि) और मुनाफे के तौर पर उत्पादन लागत का कम से कम 50% जोड़कर एमएसपी की सिफारिश करता है।

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एमएसपी खरीद कैसे होती है?

सरकार की विभिन्न एजेंसियां जैसे भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), भारतीय कॉटन कॉरपोरेशन (सीसीआई), Nafed आदि राज्य सरकारों के सहयोग से एमएसपी पर सीधे किसानों से फसलें खरीदती हैं। यह खरीद प्रक्रिया अधिशेष उत्पादन के समय बाजार मूल्य में गिरावट को रोकने और किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने में मदद करती है.

एमएसपी से जुड़ी चुनौतियां और किसान आंदोलन (MSP Farmers Protest)

हालांकि एमएसपी किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन प्रणाली है, फिर भी इसे लेकर कई बार असंतोष और विरोध प्रदर्शन देखने को मिलते हैं। इन प्रदर्शनों के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:

  • कम दाम मिलना: एमएसपी तो घोषित कर दिया जाता है, लेकिन कई बार मंडियों में व्यापारी किसानों को उनकी फसलों का एमएसपी से कम दाम देते हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान होता है।
  • खरीद में देरी: सरकारी खरीद एजेंसियां कई बार एमएसपी पर खरीद में देरी करती हैं। इस देरी के कारण फसलें खराब होने का खतरा रहता है या फिर किसानों को कम दाम पर फसलें बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
  • कवरेज की कमी: एमएसपी व्यवस्था सभी फसलों और सभी किसानों तक नहीं पहुंच पाती है। दलहन, तिलहन और कुछ सब्जियों जैसी फसलों के लिए एमएसपी का लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है। साथ ही, छोटे और सीमांत किसान भी अक्सर सरकारी खरीद प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन पाते हैं।
  • बाजार विसंगतियों का प्रभाव: कभी-कभी अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थितियां या अन्य आर्थिक कारक एमएसपी को अप्रभावी बना देते हैं। उदाहरण के लिए, अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम गिरने से घरेलू बाजार में भी गेहूं के दाम प्रभावित हो सकते हैं, जिससे सरकार को एमएसपी पर खरीद मुश्किल हो जाती है।

एमएसपी को कानूनी रूप से लागू करने की मांग (MSP Law)

किसान संगठन लंबे समय से एमएसपी को कानूनी रूप से लागू करने की मांग कर रहे हैं। इसका मतलब है कि एमएसपी को एक कानून के रूप में अधिनियमित किया जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसानों को उनकी फसलों का हमेशा एमएसपी से कम दाम पर नहीं बेचना पड़े। साथ ही, वे यह भी मांग कर रहे हैं कि एमएसपी पर खरीद की गारंटी दी जाए, ताकि किसानों को खुले बाजार में कम दाम पर फसल बेचने को मजबूर न होना पड़े।

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सरकार के प्रयास और भविष्य की दिशा

एमएसपी व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार कई कदम उठा रही है, जैसे कि:

  • खरीद प्रक्रिया को सु streamlined करना: ऑनलाइन पंजीकरण और ई-नाम प्रणाली के जरिए खरीद प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुगम बनाया जा रहा है।
  • खरीद केंद्रों का विस्तार: किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अधिक विकल्प देने के लिए खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाई जा रही है।
  • सीधी आय सहायता योजनाएं: कुछ फसलों के लिए PM-AASHA (प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर किसान योजना) जैसी योजनाओं के तहत सीधी आय सहायता प्रदान की जा रही है।

हालांकि, अभी भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। एमएसपी को व्यापक बनाने, फसलों की कवरेज बढ़ाने और खरीद प्रक्रिया को और मजबूत बनाने की आवश्यकता है। साथ ही, एमएसपी को कानूनी रूप से लागू करने पर विचार किया जाना चाहिए, ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके और कृषि क्षेत्र में स्थिरता आए।

निष्कर्ष

न्यूनतम समर्थन मूल्य भारतीय कृषि क्षेत्र की रीढ़ है। यह किसानों को आय सुरक्षा प्रदान करने और कृषि क्षेत्र को स्थिरता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन मौजूदा व्यवस्था में कई खामियां हैं, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। किसान आंदोलनों ने इन खामियों को उजागर किया है। उम्मीद है कि सरकार किसानों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एमएसपी व्यवस्था को और मजबूत करेगी, ताकि यह वास्तव में किसानों के लिए एक प्रभावी सुरक्षा कवच बन सके।

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