न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP: भारतीय किसानों की आय सुरक्षा का सवाल?

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न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP: भारत की धरती को सींचने वाले करोड़ों किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) हमेशा से चिंता का विषय रहा है। यह सरकार का एक वादा है कि किसानों को उनकी फसल के लिए एक न्यूनतम मूल्य मिलेगा, चाहे बाजार भाव उससे कम हो। लेकिन, क्या यह वादा किसानों की आजीविका की असल रक्षा कर पा रहा है? इस जटिल सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हमें पहले MSP को समझना होगा।

न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP क्या है और क्यों जरूरी है?

MSP सरकार द्वारा तय एक न्यूनतम मूल्य होता है, जिस पर वह कुछ प्रमुख खाद्यान्न और दलहनों को किसानों से खरीदती है। सरकार द्वारा गेहूं, चावल, कपास, दलहन, गन्ना आदि 23 फसलों पर MSP घोषित किया जाता है। इसका उद्देश्य किसानों को बाजार में उतार-चढ़ाव से बचाना और उनकी फसल को उचित मूल्य दिलाना है। साथ ही, यह खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

किसान क्या मांग रहे हैं?

  • MSP की गारंटी: किसान चाहते हैं कि MSP सिर्फ एक घोषणा नहीं, बल्कि एक कानूनी गारंटी हो। उनका मानना है कि इससे उन्हें फसल बेचने के समय एक निश्चित आय का भरोसा होगा और बिचौलियों का शोषण रोका जा सकेगा।
  • MSP में वृद्धि: कृषि लागत लगातार बढ़ रही है, लेकिन कई फसलों का MSP कई सालों से नहीं बढ़ा है। किसानों की मांग है कि MSP को उत्पादन लागत को कवर करने के लिए पर्याप्त बढ़ाया जाए।
  • सभी फसलों के लिए MSP: फिलहाल केवल 23 फसलों के लिए ही MSP लागू होता है। किसान चाहते हैं कि सरकार अन्य फसलों पर भी MSP घोषित करे, ताकि उन्हें अधिक विकल्प मिलें और आय में विविधता ला सकें।

MSP के संभावित लाभ:

  • किसानों की आय सुरक्षा: उचित MSP किसानों को न्यूनतम आय का आश्वासन देता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है और कर्ज बोझ कम हो सकता है।
  • खाद्यान्न सुरक्षा: देश में खाद्यान्न की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि किसानों को फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। MSP ऐसा करने में मदद करता है।
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: MSP से किसानों की आय बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च बढ़ता है, जिससे स्थानीय बाजार को मजबूती मिलती है और रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।

MSP: चुनौतियां, विकल्प और वैश्विक प्रभाव

MSP और बाजार की गतिशीलता:

MSP बाजार के उतार-चढ़ाव से किसानों को सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन साथ ही यह बाजार की स्वाभाविक गतिशीलता में भी हस्तक्षेप कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि गेहूं का बाजार मूल्य MSP से कम है, तो सरकार भारी मात्रा में गेहूं खरीदने को बाध्य हो जाती है, जिससे भंडारण की समस्या पैदा हो सकती है। साथ ही, इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय गेहूं की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है।

विकल्प और सुधार:

MSP को लेकर मौजूदा व्यवस्था में कुछ चुनौतियां हैं, इसलिए कई विकल्प और सुधारों पर विचार किया जा रहा है। कुछ संभावित समाधानों में शामिल हैं:

  • डायरेक्ट इनकम सपोर्ट: किसानों को उनकी आय बढ़ाने के लिए सीधे आर्थिक सहायता देना।
  • बाजार आधारित समर्थन: बाजार मूल्य के आधार पर किसानों को सब्सिडी या बीमा की सुविधा देना।
  • क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण: कृषि उत्पादन और विपणन को क्लस्टर के रूप में विकसित करना, जिससे किसानों को सामूहिक सौदेबाजी की शक्ति मिले।
  • MSP पर लचीलापन: फसल और क्षेत्र के आधार पर MSP में लचीलापन लाना, जिससे बाजार के संकेतों पर भी ध्यान दिया जा सके।

MSP का वैश्विक प्रभाव:

भारत का MSP वैश्विक खाद्य बाजारों को भी प्रभावित कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि भारत भारी मात्रा में गेहूं का स्टॉक कर लेता है, तो यह वैश्विक गेहूं की कीमतों को कम कर सकता है, जिससे अन्य देशों के किसानों को नुकसान हो सकता है। साथ ही, भारत का MSP अन्य देशों को अपनी कृषि नीतियों में सुधार के लिए प्रेरित कर सकता है।

निष्कर्ष:

MSP भारतीय किसानों के लिए आजीविका सुरक्षा का अहम मुद्दा है। हालांकि, इसके कई लाभ हैं, साथ ही इसे लागू करने में चुनौतियां भी हैं। सरकार को किसानों, उपभोक्ताओं और बाजार की जरूरतों को संतुलित करते हुए MSP प्रणाली में सुधार लाने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, यह जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग बढ़ाया जाए, ताकि खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके और किसानों के हितों की रक्षा की जा सके।

संदर्भ:

  • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार
  • स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट
  • अंतरराष्ट्रीय खाद्य और कृषि संगठन (FAO)
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